Orthopedic

अल कबीर हर्ब्स से जुड़ें – प्राकृतिक उपचार की शुरुआत यहीं से होती है |
जोड़ों में सूजन और जकड़न, जो उम्र, संक्रमण या ऑटोइम्यून कारणों से हो सकती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस (घिसे हुए जोड़)
रुमेटॉइड आर्थराइटिस (प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा हमला)
रीढ़ की हड्डियों के बीच की कुशन (डिस्क) खिसक जाती है, जिससे नस पर दबाव पड़ता है और कमर या पैर में दर्द होता है।
कमर से लेकर पैर तक की नस में सूजन या दबाव के कारण तेज़ दर्द होता है, जो चलने-फिरने में मुश्किल पैदा करता है।
रीढ़ की हड्डी में सूजन, खासकर गर्दन (सर्वाइकल) या पीठ के निचले हिस्से (लम्बर) में — जिसमें अकड़न और दर्द होता है।
हड्डियाँ कमजोर और भुरभुरी हो जाती हैं, जिससे छोटी चोट में भी फ्रैक्चर हो सकता है — यह उम्र, हार्मोन की कमी या कैल्शियम की कमी से होता है।
हड्डी का टूटना — जो दुर्घटना, चोट, या ऑस्टियोपोरोसिस जैसी स्थिति के कारण हो सकता है।
घुटना, कंधा, कोहनी या एड़ी में लंबे समय तक बना रहने वाला दर्द — चलने-फिरने में कठिनाई पैदा करता है।
कंधे की गति सीमित हो जाती है और उसमें जकड़न और दर्द बना रहता है। यह धीरे-धीरे विकसित होता है और महीनों तक रह सकता है।
कोहनी की मांसपेशियों में सूजन और दर्द, जो अधिक काम या खिंचाव से होता है।
कलाई की नस पर दबाव पड़ने के कारण हाथों में झनझनाहट, कमजोरी और दर्द होता है।
मांसपेशियों या स्नायु में खिंचाव या फटना, जो अक्सर खेलते समय या अचानक गलत चाल में होता है।
घुटनों के जोड़ों में चिकनाई की परत (cartilage) घिस जाती है, जिससे घुटना चलने में दर्द करता है और आवाज़ करता है।
जैसे स्कोलियोसिस (Scoliosis) या कायफोसिस (Kyphosis) — जिसमें रीढ़ असामान्य रूप से मुड़ जाती है।
ऑपरेशन के बाद दर्द, सूजन, या जोड़ का सामान्य गति में न आना — जिसे आयुर्वेदिक देखभाल से ठीक किया जा सकता है।