Liver Diseases

अल कबीर हर्ब्स से जुड़ें – प्राकृतिक उपचार की शुरुआत यहीं से होती है |
यह स्थिति तब होती है जब लिवर की कोशिकाओं में वसा (फैट) जमा हो जाती है। यह शराब के सेवन से (एल्कोहॉलिक फैटी लिवर) या बिना शराब के (नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर – NAFLD) भी हो सकता है। प्रारंभिक अवस्था में कोई लक्षण नहीं होते, लेकिन समय पर इलाज न हो तो सूजन और लिवर को नुकसान हो सकता है।
लिवर की सूजन जो वायरस के कारण होती है:
हेपेटाइटिस A और E: संक्रमित पानी या भोजन से फैलते हैं।
हेपेटाइटिस B, C और D: संक्रमित रक्त या शारीरिक तरल पदार्थों से फैलते हैं।
अगर यह पुराना हो जाए तो लिवर फेल्योर या कैंसर हो सकता है।
यह एक गंभीर स्थिति है जिसमें लिवर की स्वस्थ कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होकर फाइब्रोसिस (स्कार टिशू) में बदल जाती हैं, जिससे रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है। यह लंबे समय तक शराब पीने, हेपेटाइटिस या फैटी लिवर के कारण हो सकता है।
लिवर में लंबे समय तक सूजन रहने के कारण स्कार टिशू बनने की शुरुआती अवस्था। यदि समय पर इलाज न हो तो यह सिरोसिस में बदल सकता है।
एक गंभीर स्थिति जिसमें लिवर की कोशिकाएं कैंसरग्रस्त हो जाती हैं। यह आमतौर पर पुराने हेपेटाइटिस B/C या सिरोसिस से जुड़ा होता है। समय रहते पहचान और इलाज जरूरी होता है।
यह एक लक्षण है, रोग नहीं — जिसमें त्वचा और आंखें पीली हो जाती हैं। यह लिवर की खराबी, हेपेटाइटिस, पित्त नली की रुकावट या रक्त कोशिकाओं के टूटने का संकेत हो सकता है।
लिवर में मवाद से भरी हुई गांठ (संधान) जो बैक्टीरिया या अमीबा के संक्रमण से बनती है। इसमें तेज बुखार, दाहिने ऊपरी पेट में दर्द और सूजन हो सकती है।
एक आनुवांशिक रोग जिसमें शरीर में अत्यधिक आयरन जमा हो जाता है, जिससे लिवर को नुकसान होता है। समय पर इलाज न हो तो यह सिरोसिस, डायबिटीज या हार्ट रोग का कारण बन सकता है।
एक दुर्लभ आनुवांशिक स्थिति जिसमें शरीर में कॉपर (तांबा) लिवर, मस्तिष्क और अन्य अंगों में जमा हो जाता है और धीरे-धीरे उन्हें नुकसान पहुँचाता है। यह रोग आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था में शुरू होता है।
एक ऑटोइम्यून रोग जिसमें लिवर की पित्त नलिकाएं धीरे-धीरे नष्ट हो जाती हैं, जिससे पित्त लिवर में जमा होकर उसे नुकसान पहुंचाता है।
एक पुरानी बीमारी जिसमें पित्त नलिकाओं में सूजन और स्कार टिशू बन जाता है, जिससे पित्त का बहाव रुक जाता है और लिवर की कोशिकाएं प्रभावित होती हैं।
इस स्थिति में शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली गलती से लिवर की कोशिकाओं पर हमला करती है, जिससे लिवर में सूजन और क्षति होती है।
जब लिवर अपने आवश्यक कार्य जैसे विषहरण, पाचन, और बाइल निर्माण करना बंद कर देता है। यह अचानक (एक्यूट) या धीरे-धीरे (क्रॉनिक) रूप में हो सकता है।
एक हल्का आनुवंशिक विकार जिसमें शरीर में बिलीरुबिन को ठीक से प्रोसेस नहीं किया जाता, जिससे कभी-कभी हल्का पीलिया हो जाता है। यह आमतौर पर हानिरहित होता है और इलाज की आवश्यकता नहीं होती।