Kidney Diseases

अल कबीर हर्ब्स से जुड़ें – प्राकृतिक उपचार की शुरुआत यहीं से होती है |
गुर्दों की धीरे-धीरे कार्यक्षमता कम होना। यह उच्च रक्तचाप, मधुमेह या बार-बार संक्रमण के कारण हो सकता है। समय पर इलाज न हो तो डायलिसिस या प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ सकती है।
गुर्दों का अचानक काम करना बंद कर देना। यह डिहाइड्रेशन, दवाओं या रक्त की आपूर्ति में कमी के कारण हो सकता है। तात्कालिक इलाज से स्थिति सुधारी जा सकती है।
एक ऐसी स्थिति जिसमें पेशाब के साथ बहुत अधिक प्रोटीन निकलता है, जिससे सूजन (मुख्यतः चेहरे, पैरों) और कमजोरी होती है।
गुर्दों की सूजन, जिसमें पेशाब में खून आना, ब्लड प्रेशर बढ़ना और सूजन जैसे लक्षण होते हैं।
गंभीर यूरीनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन जो गुर्दों तक पहुंचता है। इसमें तेज बुखार, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, पेशाब में जलन और मवाद हो सकता है।
गुर्दे में खनिज और लवणों से बने ठोस कण, जो तेज दर्द, पेशाब में खून और जलन पैदा कर सकते हैं। छोटी पथरी अपने आप निकल सकती है, जबकि बड़ी के लिए इलाज ज़रूरी होता है।
एक आनुवंशिक रोग जिसमें गुर्दों में कई तरल से भरी गांठें (सिस्ट) बनती हैं। इससे धीरे-धीरे किडनी खराब हो सकती है।
मधुमेह से संबंधित किडनी की जटिलता, जिसमें धीरे-धीरे किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है।
उच्च रक्तचाप के कारण गुर्दों को नुकसान। यदि नियंत्रण में न आए, तो यह स्थायी नुकसान का कारण बन सकता है।
गुर्दों की फ़िल्टरिंग यूनिट (ग्लोमेरुलस) की सूजन। इससे प्रोटीन और खून पेशाब में आ सकता है और किडनी डैमेज हो सकता है।
गुर्दों में कैंसर कोशिकाओं का विकास, जो वजन कम होना, पेशाब में खून, थकान और पीठ दर्द जैसे लक्षण दिखा सकता है।
जब गुर्दे पूरी तरह से काम करना बंद कर देते हैं और शरीर से अपशिष्ट पदार्थ निकालने में असमर्थ हो जाते हैं। यह तीव्र (Acute) या दीर्घकालिक (Chronic) हो सकता है।