Heart Diseases

हृदय रोग (जिसे कार्डियोवैस्कुलर डिज़ीज़ भी कहा जाता है) उन बीमारियों का एक व्यापक समूह है जो हृदय और रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करते हैं। ये बीमारियाँ अवरुद्ध धमनियों, अनियमित धड़कनों, कमजोर हृदय मांसपेशियों या जन्मजात दोषों के कारण विकसित हो सकती हैं।
हृदय रोग दुनिया भर में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक हैं। ये अक्सर खराब जीवनशैली, अत्यधिक तनाव, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, धूम्रपान या पारिवारिक इतिहास के कारण होते हैं। इनके लक्षणों में सीने में दर्द, सांस फूलना, थकान, दिल की धड़कन का तेज़ या धीमा होना शामिल हो सकता है — और कुछ मामलों में कोई लक्षण नहीं भी दिखते (साइलेंट हार्ट डिज़ीज़)।
Heart disease (also known as cardiovascular disease) is a broad group of conditions that affect the heart and blood vessels. These diseases can develop due to blocked arteries, irregular heartbeats, weakened heart muscles, or congenital defects.
Heart disease is one of the leading causes of death worldwide. It often results from poor lifestyle choices, excessive stress, high blood pressure, diabetes, smoking, or a family history of cardiac issues. Common symptoms may include chest pain, shortness of breath, fatigue, and irregular or rapid heartbeat — though in some cases, there may be no noticeable symptoms at all (silent heart disease).
At Al Kabir Herbs, we believe in healing the heart naturally — without surgery or harmful medications. Our Ayurvedic formulations are designed to strengthen the heart, improve blood circulation, and support overall cardiac health. Whether you’re dealing with a chronic heart condition or recovering post-surgery, our treatments are personalised, holistic, and backed by 30 years of research.
अल कबीर हर्ब्स में हम हृदय को प्राकृतिक रूप से ठीक करने में विश्वास रखते हैं — बिना सर्जरी या नुकसानदायक दवाओं के। हमारे आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन हृदय को मजबूत बनाने, रक्त प्रवाह को बेहतर करने और संपूर्ण कार्डियक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए तैयार किए जाते हैं। चाहे आप किसी पुरानी हृदय समस्या से जूझ रहे हों या ऑपरेशन के बाद रिकवरी कर रहे हों — हमारे उपचार व्यक्तिगत, समग्र और 30 वर्षों के शोध पर आधारित हैं।

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हृदय की धमनियों में प्लाक जमने से रक्त प्रवाह रुक जाता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है।
1) पूर्ण ब्लॉकेज (Full Blockage)
शुरुआत में हृदय की एक या अधिक धमनियाँ पूरी तरह से बंद हो जाती हैं।
लक्षण: तेज़ सीने में दर्द, सांस फूलना, थकावट, हृदय का दौरा पड़ने का खतरा।
2) 10 दिन बाद – 50% ब्लॉकेज रह गया
प्राकृतिक आयुर्वेदिक औषधियों के सेवन और जीवनशैली में सुधार के बाद ब्लॉकेज घटने लगता है।
प्रभाव: दर्द कम, रक्त प्रवाह थोड़ा बेहतर, थकावट में कमी।
3) 2 महीने बाद – 85% ब्लॉकेज खत्म हो चुका है
नियमित उपचार से धमनियों में जमा प्लाक धीरे-धीरे घुलता है।
लक्षणों में सुधार: सामान्य चलना-फिरना, सीढ़ियाँ चढ़ना, छाती में भारीपन ना होना।
4) 4 महीने बाद – धमनियाँ पूरी तरह साफ (Full Clean)
आयुर्वेदिक इलाज के ज़रिए हृदय की धमनियाँ फिर से खुल चुकी हैं — बिना सर्जरी, बिना स्टेंट।
परिणाम: हृदय पूरी तरह सामान्य, ऊर्जा में वृद्धि, जीवन की गुणवत्ता बेहतर।

जब हृदय के किसी हिस्से में रक्त प्रवाह अचानक बंद हो जाता है, जिससे हृदय की मांसपेशियों को नुकसान होता है। यह एक चिकित्सा आपात स्थिति होती है।

हृदय तक कम रक्त प्रवाह के कारण होने वाला लक्षण। इसमें सीने में दर्द या भारीपन महसूस होता है, विशेषकर शारीरिक श्रम या तनाव के समय।

हृदय की धड़कनों का बहुत तेज, बहुत धीमा या असामान्य होना — यह हृदय के विद्युत संकेतों में गड़बड़ी के कारण होता है।

एक स्थिति जिसमें हृदय शरीर की आवश्यकता के अनुसार रक्त नहीं पंप कर पाता, जिससे थकान, सांस फूलना और पैरों में सूजन हो सकती है।

हृदय की मांसपेशियों की बीमारी जिसमें हृदय बड़ा, कठोर या मोटा हो जाता है और रक्त पंप करने की क्षमता कम हो जाती है।
इसमें शामिल हैं:

  • डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी

  • हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी

  • रेस्ट्रिक्टिव कार्डियोमायोपैथी

 

जब हृदय के एक या अधिक वॉल्व ठीक से नहीं खुलते या बंद होते, जिससे रक्त प्रवाह में रुकावट आती है।
उदाहरण:

  • माइट्रल वॉल्व प्रोलैप्स

  • एऑर्टिक स्टेनोसिस

  • माइट्रल रिगर्जिटेशन

जब वॉल्व बंद नहीं होता और रक्त पीछे की ओर लीक होने लगता है।

अनियमित, तेज़ या ज़्यादा महसूस होने वाली धड़कन।

वॉल्व या हृदय की अंदरूनी सतह पर जमा हुए बैक्टीरिया या फाइब्रिन की परत — जो अक्सर संक्रमण (endocarditis) का कारण होती है।

हृदय सामान्य से बड़ा हो जाता है — हृदय की कमजोरी या उच्च रक्तचाप इसका कारण हो सकता है।

हृदय का कोई भाग सामान्य से कम गति में सिकुड़ता है — जिससे पंपिंग कमजोर हो जाती है।

हृदय की मांसपेशियों की गति कम हो जाना — अक्सर हार्ट अटैक के बाद या हार्ट फेलियर में देखा जाता है।

  • एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (ASD)-हृदय के ऊपरी दो चेंबर (atria) के बीच दीवार में छेद।
  • वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (VSD)-हृदय के निचले दो चेंबर (ventricles) के बीच छेद।
  • पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (PDA)-जन्म के बाद भी एक भ्रूणीय रक्त वाहिनी खुली रह जाती है, जिससे फेफड़ों में अधिक रक्त जाता है।
  • पेटेंट फोरेमन ओवाले (PFO)-ASD जैसा ही छेद जो जन्म के बाद बंद नहीं होता — यह स्ट्रोक का कारण बन सकता है।

रूमेटिक बुखार के कारण हृदय वॉल्व को होने वाला नुकसान, जो आमतौर पर स्ट्रेप्टोकोकल गले के संक्रमण के बाद होता है।

फेफड़ों की धमनियों में उच्च रक्तचाप, जिससे हृदय के दाहिने भाग पर दबाव बढ़ जाता है और उसका कार्य प्रभावित होता है।

जब हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती, आमतौर पर संकरी धमनियों के कारण — जिससे कमजोरी और हृदय फेल्योर हो सकता है।

हृदय की कार्यप्रणाली का अचानक रुक जाना, अक्सर बिना चेतावनी के। यह जानलेवा होता है और तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है।

एऑर्टा की दीवार का कमजोर होकर फूल जाना, जो समय पर इलाज न होने पर फट सकता है और अंदरूनी रक्तस्राव का कारण बन सकता है।

एक ऐसी स्थिति जिसमें हृदय को नुकसान पहुंचता है लेकिन कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते — अक्सर तब पता चलता है जब कोई बड़ा हृदय संबंधी घटना घटती है।

एक ऐसी स्थिति जिसमें हृदय को नुकसान पहुंचता है लेकिन कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते — अक्सर तब पता चलता है जब कोई बड़ा हृदय संबंधी घटना घटती है।

हृदय की मांसपेशियों में सूजन, आमतौर पर वायरस के कारण — जिससे कमजोरी और पंपिंग क्षमता घटती है।

हृदय को घेरे झिल्ली (Pericardium) में सूजन — जिससे सीने में तेज़ दर्द होता है।

हृदय की रक्त पंप करने की क्षमता कम हो जाती है (<40%) — जिससे CHF या हार्ट फेलियर होता है।

जन्मजात दोष जिसमें हृदय के दाएं और बाएं चेंबर की स्थिति उलटी होती है — जिसे Corrected Transposition भी कहते हैं।

हृदय की मांसपेशियों का असामान्य रूप से मोटा होना — जिससे पंपिंग क्षमता प्रभावित होती है।

  • टैकीकार्डिया (Tachycardia)-हृदय की धड़कन सामान्य से तेज़ (>100 BPM) हो जाती है।
  • ब्रैडीकार्डिया (Bradycardia)-हृदय की धड़कन सामान्य से धीमी (<60 BPM) हो जाती है — जिससे चक्कर और बेहोशी हो सकती है।